Wednesday 29 November 2017

जवाब।।।।

मायने ज़िन्दगी के कुछ बदल जायेंगे,
टूटे हुए रिश्ते भी अब संभल जायेंगे,
कोशिश कभी-२ नाकाम भी होती है,
कायरों के दिल क्या कभी पिघल पाएंगे।


उरी, पठानकोट क्या सिर्फ बात है,
ना जाने टूटे कितनो के जज्बात हैं,
दोस्ती, सैयम अब झंजोर देती है,
सच्चाई दिखा भी पाए हमने आघात हैं।


चुप्पी की बीन कब तक बजाते रहें,
लोक लाज निभा फिर पछताते रहें,
दुश्मन को जवाब अब तो जरुरी है,
या फिर मूक हो शीष हम कटाते रहें।


मानता हूँ युद्ध नहीं हर मुश्किल का उपाय,      मगर रोको जो मुस्कान के पीछे खंजर है छुपाए,

और सामर्थ का कभी अंदाजा लगाना नहीं क्योंकि,
अब उलझे तो तुम्हारी पहचान भी बच न पाए।


नक़्शे से मिटाने की सिर्फ बात नहीं करते,
हम पीठ पीछे भी कभी आघात नहीं करते,
इतिहास के पन्ने पलट लो गर शक है तो,
जूझते हैं पर गिड़गिड़ा के फ़रियाद नहीं करते।


संभाला ही नहीं पाला है तुम्हारे सितारों को,
दुदकार दिया जिसे तुमने उन कलाकारों को,
पिलाया है पानी खुद को प्यासा रख के,
और एहसान चुकाया उठा तुमने हथियारों को।

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