Sunday 14 September 2014

@! इंतज़ार !;#/

दूर हुआ तो फ़िक्र नहीं पास में भी कदर नहीं,
कुछ कमी मुझमे है या तेरी जरुरत अब बड़ी हुई,
हर बार जब तेरा चेहरा झुका देखता हूँ,
तेरे दूर होने की वजह मुश्किल से समेटता हूँ.

हाँ मेरी जिद्द थी तेरा साथ देने हरदम हर मोड़ में,
अफ़सोस तूने राह ही इतनी सीधी ढुँडी इस होड़ में,
पर कोई सिकवा नहीं तेरे इस कदर छोड़ जाने को,
मैं तो हमेशा रहूँगा ही तेरे सामने हर दर्द मानाने को,

और हाँ बस एक जवाब के लिए जी रहा हूँ,
ज़हर हर पल बस उस हिसाब के लिए पी रहा हूँ,
माना की बदलता है वक़्त हर किसी का यहाँ,
तेरा वक़्त सुधरे उसी का हरपल जतन सी रहा हूँ,

पर याद रखना हमेशा ये बात ज़िन्दगी में,
मुझसा कभी न मिलेगा तुझे इस सदी में,
पर साथ तो देना होगा न किसी ना किसी का,
तो क्यों सता रही है खुद को झूटी खुशी में,

मैं जैसा था वैसा सी हूँ अब भी हर तरह से,
तेरा दर्द मात्र सुन के कराह जाना हर मतलब से...

No comments:

Post a Comment