Thursday 10 July 2014

;;; चाहत नहीं जिद्द कर... **!

पहचानने का हुनर तो दिखाया मुझे,
साथ दिया नहीं तो क्या हुआ,
ठोकर देकर चलना तो सिखाया मुझे,

मुझको रुला के मगर मिला क्या तुझे,
साथ नहीं मैं भी तो तेरे,
याद रखना ये, की अब पछताना तो पड़ेगा ही उसे,

तकदीर कभी ना कभी तो पूछेगी मुझे,
नादान कितना भी हो वो दूर तुझसे,
गम, कुछ समय लेके ही सही आजमाएगी ज़रूर उसे,

हसने के मौके सभी के हैं कहाँ,
और थम जाए वो ज़िन्दगी नहीं,
रोना है तो खुश होने का दौर भी आएगा यहाँ,

और इंतज़ार ना कर ख़ुशी का तू सब,
चाहत से सिर्फ मिलता नहीं कुछ,
बताना होगा कुछ करके और कुछ दिखाके अब,

रुकने का नाम ज़िन्दगी नहीं है कुछ,
चाहत को झुकादे अब तो तू सब,
और बंदगी से नहीं जिद्द कर की करना है अब तो कुछ...

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