Thursday 1 January 2015

गम।।।

कुछ गमो को मुस्कुराते देखा तो बस थाम लिया,
न संभले चंद गम तो फिर सजा इसे मान लिया,
आईना बदलने से सूरत कभी बदला नहीं करती,
खुद को बदलने चले और हाथों में जाम लिया॥

इन अंधेरों में जब गुम हुआ तो अब ये जाना है,
सबसे मुश्किल इस दुनिया में रूठे को मनाना है,
उजाला अक्सर दुश्मन बन कुछ ऐसा समझाती है,
अपनों से ख्वाइश न हो कोई तो ये सफ़र सुहाना है॥

कोई ना दे साथ यहां तो क्यों कोई लड़ता है,
जब गिर के खुद ही सम्भलना यहां पड़ता है,
सहारे की जरुरत नही किसीको फिरभी लेकिन,
हर एक राह किसी के कारण ही कोई मरता है॥

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